Does God Exist?
-Dr. Lalit Kumar Setia*
There are different opinions of different categories of people upon existence of God. Some bluntly refuse and believe that there is no existence of God and the concept is a myth. Some believe that there is God who writes our destiny and everything happened in the world is due to his desire.
I don't know what you believe. A few days back, I received a message on Whatsapp challenging everyone to believe that there is no existence of God.
The message was in Hindi language and written as under:
"इन्सान ने ही भगवान का निर्माण किया है ।इसके तार्किक सबूत निम्नलिखित है:
1. मनुष्य के अलावा दुनिया का एक भी प्राणी भगवान को नहीं मानता ।
2.जहाँ इन्सान नहीं पहुँचा, वहाँ एक भी मंदिर मस्जिद या चर्च नहीं मिला ।
3.अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग देवता है। इसका मतलब इन्सान को जैसी कल्पना सूझी वैसा भगवान बनाया ।
4.दुनिया में अनेक धर्म पंथ और उनके अपने-अपने देवता हैं। इसका अर्थ भगवान भी एक नहीं।
5.दिन प्रतिदिन नये नये भगवान तैयार हो रहे हैं।
6. अलग-अलग प्रार्थनाएं हैं।
7. माना तो भगवान, नहीं तो पत्थर...यह कहावत ऐसे ही नहीं बनी।
8.दुनिया में देवताओं के अलग-अलग आकार और उनको प्रसन्न करने की लिए अलग-अलग पूजा ।
9. अभी तक किसी इन्सान को भगवान मिलने के कोई प्रमाण नहीं हैं।
10.भगवान को मानने वाला और न मानने वाला भी समान जिंदगी जीता है।
11.भगवान किसी का भी भला या बुरा नहीं कर सकता।
12. भगवान भ्रष्टाचार अन्याय, चोरी, बलात्कार आतंकवाद, अराजकता रोक नहीं सकता।
13.छोटे मासूम बच्चों पर बंदुक से गोलियाॅ दागने वालों के हाथ भगवान नहीं पकड़ सकता।
14.मंदिर मठ आश्रम प्रार्थना स्थल जहाँ माना जाता है कि भगवान का वास होता है वहाँ भी बच्चे महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।
15.मंदिर मस्जिद चर्च को गिराते समय एक भी भगवान ने सामने आकर विरोध नहीं किया।
16.बिना अभ्यास किये एक भी छात्र को भगवान ने पास किया हो ऐसा एक भी उदाहरण आज तक सुनने को नहीं मिला।
17. बहुत सारे भगवान ऐसे हैं जिनको 25 साल पहले कोई नही जानता था । वह अब प्रख्यात भगवान हो गये। जैसे- सांई बाबा, सत्य सांई आदि।
18. खुद को भगवान समझने वाले अब जेल की हवा खा रहे हैं।
19.दुनिया में करोडों लोग हैं जो भगवान को नहीं मानते फिर भी वह सुख चैन से रह रहे हैं ।
20.हिन्दू अल्लाह को नहीं मानते।
मुस्लिम भगवान को नहीं मानते।
इसाई भगवान और अल्लाह को नहीं मानते।
हिन्दू मुस्लिम गाॅड(christ) को नहीं मानते। फिर भी भगवानों ने एक दुसरे को नहीं पूछा कि ऐसा क्यों ?
21.एक धर्म कहता है कि भगवान का आकार नहीं । दूसरा धर्म भगवान को आकार देकर फैन्सी कपड़े पहनाता है। तीसरा धर्म अलग ही बताता है। मतलब सच क्या है ?
22.भगवान है तो लोगों में उसका डर क्यों नहीं?
23.मांस भक्षण करने वाला भी जी रहा है और नहीं करने वाला भी जी रहा है । और जो दोनों खाता है वह भी जी रहा है।
24. रूस, अमेरिका भगवान को नहीं मानते फिर भी वे महासत्ता हैं।
25.जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो फिर चार वर्ण की व्यवस्था सिर्फ भारत में क्यों पाई जाती है ? अन्य देशों में क्यों नही पाई जाती है? जब पिछले जन्म के कर्म के आधार पर जातियों का निर्माण किया गया है तो भारतीय जातियां अन्य देशों में क्यों नहीं पायी जाती है ?
26. जब वेद ईश्वर की वाणी है तो भारत के अलावा अन्य देशों में वेद क्यों नहीं हैं ? तथा वेद सिर्फ ब्राह्मणों की भाषा संस्कृत में क्यों है अन्य भाषाओं जैसे बंगाली, उड़िया, उर्दू, अंग्रेजी, मलयालम, तेलगू, फारसी, आदि में क्यों नहीं है?
After reading these 26 statements, one may be convinced that God is nowhere and it is only a perception originated from the beliefs. But after introspection I realized that
1. Whenever a person helps needy... he realized happiness inside. From where this happiness comes?
2. Whenever we try to do wrong with another person intentionally; who stops us inside not to do such thing?
3. Why the lines on palms of each person don't match?
4. Who created the universe and who is operating the various forms of creatures?
5. Why there are things being happen without any cause behind them (generally known as Co-incidence)
6. Why science is unable to create blood, body, and give life in dead body?
7. Where does soul go after death?
8. Why there are after death experiences explained on internet on the basis of real events?
9... 10... 11..
Yes, God exists but we cannot see him like we cannot see the air. We can feel God as we feel the air.
Please contribute the other points proving the existence of God.
*Copyright © 2018 Dr. Lalit Kumar. All rights
reserved. Dr. Lalit Kumar is a free-lance writer with publication of research
papers in various esteemed and reputed journals. Presently he is working as Course
Director (Faculty of Financial Management), HIPA, Gurugram (Delhi-NCR), India
(Asia).